किसी व्यक्ति के जन्म के समय जब राहु-केतु एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं और सारे सातों ग्रह भी जब राहु-केतु के एक तरफ आ जाते हैं, तो दूसरी तरफ कोई ग्रह नहीं होता। जिससे कि राहु-केतु का नकारात्मक प्रभाव उस व्यक्ति की कुंडली पर पड़ जाता है। इस स्थिति को कालसर्प दोष कहा जाता है।
तीन दिवसीय पूजन विश्लेषण :-
प्रथम दिवस : नाग बलि एवं नारायण बलि
द्वितीय दिवस : राहु केतु शांति जप
तृतीय दिवस : शिवार्चन (रुद्राभिषेक इत्यादि)